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कुछ गीत गुनगुनाए कुछ फ़लसफ़े लिखे ।

 

कुछ गीत गुनगुनाए कुछ फ़लसफ़े लिखे ।
तेरे लिए ए ज़िन्दगी कितने जतन किये ।।

लाखों की भीड़ में जो अपना लगे कोई ।
उस शख्स के बिना भला कैसे कोई जिए ।।

दिन रात तराशा था उस बुत को, दिल ही दिल में ।
लेकिन अब अजनबी सा वो क्यों है मेरे लिए ।।

दस्तूर है ये कोई , या बदगुमां सी साजिश ।
हर कोई जी रहा है , लेकिन बिना जिए ।।

 

 

 

 

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